Delhi High Court : वर्तमान समय में संपत्ति का लेनदेन और संपत्ति का अधिकार कितना किसको है। इसको लेकर व्यक्ति बहुत ही अधिक कंफ्यूजन में रहते है। बता दे की बहुत बार ये मामले अदालत तक चले जाते हैं। वहीं अदालत में ऐसे मामले भरे पड़े हैं। बता दे की दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से ज्वाइंट संपत्ति को लेकर एक बहुत ही बड़ा फैसला सुनाया गया है। बता दे की पति-पत्नी की जॉइंट संपत्ति के विवाद को हाईकोर्ट में लेकर जाया गया था। आईए और जानते हैं नीचे की लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
आपको बता दे कि दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से जॉइंट प्रॉपर्टी को लेकर एक बहुत ही बड़ा अपडेट सामने निकल कर आया है। बता दे की एक पति पत्नी के बीच का जॉइंट संपत्ति का मामला दिल्ली की उच्च अदालत तक पहुंच गए इसमें हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस संपत्ति का पूरा मालिक कौन होंगे। आईए और जानते हैं नीचे की लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
Delhi High Court : 2005 ईस्वी में खरीदे गए थे मकान
बता दे कि आज का लगाने वालों ने 2005 में मुंबई में जॉइंट संपत्ति खरीदे थे। वहीं 1999 ईस्वी में दोनों की शादी हुए थे जबकि 2006 ईस्वी में दोनों ने अलग-अलग रहना आरंभ कर दिए। वहीं इसी दौरान पति की ओर से तलाक के लिए राज दिए गए जो फिलहाल पेंडिंग में पड़ा हुआ है।
Delhi High Court : पति की ओर से किए गए प्रॉपर्टी पर दवा
बता दे कि दिल्ली हाईकोर्ट में पति की ओर से प्रॉपर्टी पर पूरे अधिकार का दावा किए गए हैं। वही पति की ओर से प्रॉपर्टी की ईएमआई भुगतान का हवाला दिए गए। वहीं इसी पर हाईकोर्ट ने पति के दावे को खारिज कर दिए। वहीं अदालत ने कहा कि कानूनी रूप से रजिस्टर्ड ज्वाइंट प्रॉपर्टी को नजर अंदाज नहीं किया जा सकते हैं। चाहे किसी एक पक्ष ने पूरी राशि का भुगतान ना किए हो। आईए और जानते हैं नीचे की लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
Delhi High Court : पति नहीं कर सकते हैं ज्वाइंट प्रॉपर्टी पर दवा
बता दे कि दिल्ली हाई कोर्ट की ओर से कह गए हैं की ईएमआई भुगतान के आधार पर ज्वाइंट प्रॉपर्टी पर पति को एकमात्र स्वामित्व का दावा करने का अधिकार नहीं है। वही दिल्ली हाईकोर्ट की ओर से कह गए हैं कि अगर पति और पत्नी के नाम पर ज्वाइंट प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड है तो पति मात्र इस आधार पर स्वामित्व का दवा नहीं कर सकते हैं कि बैंक के माध्यम से उसने ही ईएमआई का भुगतान किए हैं। आईए और जानते हैं नीचे की लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
क्या कहती है दिल्ली हाई कोर्ट
बता दे कि दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरि वैद्यनाथ शंकर की पीठ ने मामले को लेकर सुनवाई किए। वही इस दौरान कोर्ट की ओर से कह गए हैं कि जब संपत्ति पति-पत्नी के संयुक्त नाम पर हो जाते हैं तो पति को केवल इस आधार पर एकमात्र स्वामित्व का दावा करने की अनुमति नहीं दिए जा सकते हैं कि उसने अकेले ही संपत्ति की खरीद के मूल्य का भुगतान किए हैं। आईए और जानते हैं नीचे की लेख में पूरी जानकारी विस्तार से।
बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन
बता दे की अदालत ने इसे बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन बतलाए हैं। वही यह अधिनियम संपत्ति का वास्तविक मालिक होने का दावा करने वाले व्यक्तियों को किसी अन्य व्यक्ति जिसके नाम पर संपत्ति हैं के विरोध अधिकारों को लागू करने के लिए कोई मुकदमा दवा या कार्रवाई करने से रोकते हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट में पत्नी ने क्या किया दवा, जानिए नीचे की लेख में
बता दे कि दिल्ली हाईकोर्ट में पत्नी की ओर से भी अपनी याचिका में दावा किया गया की अतिरिक्त राशि का 50% हिस्सा उसका है। वही यह उसके स्त्री धन का हिस्सा है। वही जिस कारण से संपत्ति पर उसका अधिकार बनता है। इस पर अदालत में रेखांकित किए की कानूनी रूप से पंजीकृत संयुक्त स्वामित्व को नजरअंदाज नहीं किए जा सकते हैं।